एक सामान्य मान्यता है कि धरती का धुरीय गति बदलने में केवल सोरमंडल के बच्चे कर सकते हैं, लेकिन एक नई अध्ययन ने दिखाया है कि मानव की कार्यों में से एक, जलमग्नता, इस प्रक्रिया पर भी प्रभाव डाल सकती है। अब वैज्ञानिकों ने खोज की है कि भूमि के पानी के उपयोग से उत्पन्न होने वाली जलमग्नता धरती के धुरीय गति को कैसे प्रभावित कर सकती है।
इस अद्भुत अध्ययन के अनुसार, अधिकांश देशों में जमीनी जलस्तर की गिरावट का कारण भूखंडीकरण और अवैध जलसंयंत्रों का उपयोग है। यह खतरनाक प्रक्रिया न केवल जलस्रोतों को प्रभावित करती है, बल्कि इसका धरती के धुरीय गति पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है।
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एक बहुत ही ज्यादा भू जल के दोहन के परिणामस्वरूप, धरती का धुरीय गति सौरमंडलीय बालकों के द्वारा बदलता है और यह पृथ्वी के धूल को एकत्रित करने वाली मॉनसून प्रणाली में अस्थिरता पैदा करता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रभाव ज्यादातर विपणन युग में भूतल की अत्यधिक उपयोगिता के कारण हो रहा है, जहां भूमि का अतिरिक्त जलसंग्रहण और पानी की अतिरिक्त मांग के बीच एक विसंगति है।
इस अध्ययन ने इंडिया टुडे (India Today) के अनुसार, विशेष रूप से भारत में जमीनी जलस्तर की बड़ी गिरावट के साथ संबंध बनाया है। अवैध जलसंयंत्रों के बढ़ते उपयोग के कारण, भारत में जलमग्नता बढ़ रहा है और इसने धरती के धुरीय गति को पूर्व की ओर तीसरे सेकंड प्रति दिन बदल दिया है। यह नया खोज अवकाश के आधार पर है, जो धरती की प्रक्रिया के विशेष रूप से प्रभावित करने में मदद करेगा।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार की जलमग्नता के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए सुधारों की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने अवैध जलसंयंत्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और जलसंग्रहण के लिए सतर्कता के प्रोत्साहन के लिए कई उपाय अपनाए हैं। इससे धरती की धुरीय गति को स्थिर करने और सौरमंडलीय बालकों के द्वारा नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जो सामरिक और पर्यावरणीय बदलावों को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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